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महर्षि मेँहीँ पदावली की महत्वपूर्ण बातें
प्रभु प्रेमियों ! 'महर्षि मेँहीँ पदावली' (पदावली) में अभिव्यक्त विचारों का वर्गीकरण इसमें भिन्न प्रणाली से किया गया है । परम प्रभु परमात्मा , सन्तगण और मार्गदर्शक सद्गुरु , इन तीनों को एक ही के तीन रूप समझकर इन तीनों की स्तुति - प्रार्थनाओं को प्रथम वर्ग में स्थान दिया गया है । क्योंकि सन्त गरीबदासजी ने निर्देश दिया है
साहिब से सतगुरु भये , सतगुरु से भये साध । ये तीनों अंग एक हैं , गति कछु अगम अगाध ॥ साहब से सतगुरु भये , सतगुरु से भये सन्त । धर धर भेष विलास अंग , खेलैं आद अरु अन्त ॥
द्वितीय वर्ग में सन्तमत के सिद्धांतों का एकत्रीकरण है । तृतीय वर्ग में प्रभु - प्राप्ति के एक ही साधन ' ध्यान - योग ' का संकलन है , जो मानस जप , मानस ध्यान , दृष्टि - साधन और नादानुसंधान या सुरत - शब्द - योग का अनुक्रमबद्ध संयोजन - सोपान है । चतुर्थ वर्ग में ' संकीर्तन ' नाम देकर तद्भावानुकूल गेय पदों के संचयन का प्रयत्न है । पंचम वर्ग में आरती उतारी गई है अर्थात् उपस्थित की गई है । साधकों की सुविधा का ख्याल करके नित्य प्रति की जानेवाली स्तुति - प्रार्थनाओं , संतमत - सिद्धान्त एवं परिभाषा - पाठ आदि को प्रारंभ में ही अनुक्रम - बद्ध कर दिया गया है और उसे स्तुति प्रार्थना का अंग मानकर उसी वर्ग में स्थान दिया गया है । ( और जाने )
price/INR72.00(Mainprice₹90-20%=72.00)
off/-20%
size/17.5cm/12.5cm/0.5cm/L.R.U.
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| महर्षि मेँहीँ पदावली |






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