मोक्षपर्यंत ध्यानाभ्यास

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LS65 नीति - वचन || 920 sooktiyon shuchyaachaar, shishtaachaar, neeti, manovigyaan aur moksh-dharm aadi vishayon se sambandhat hain .

नीति - वचन

     प्रभु प्रेमियों ! लालदास साहित्य सीरीज के 65 वीं  पुस्तक 'नीति - वचन' में पूज्यपाद लालदास जी महाराज ने अपने जीवन में स्वतःस्फूर्त्त 920 सूक्तियों की संकलन किया है. जिसमें  शुच्याचार , शिष्टाचार , सामाजिक व्यवहार , नीति , मनोविज्ञान , सत्य नियम , अध्यात्म - ज्ञान और मोक्ष - धर्म आदि विषयों से संबंध रखनेवाली उन महत्वपूर्ण  बातों संकलन है, जो मनुष्य जीवन को लक्ष्य पर पहुचाने के लिए दिशा-सूचक का काम करता है.

     साधना एवं गहन अध्ययन-मनन से स्वतःस्फूर्त्त उन मूर्तिमान सूत्रों को पढ़कर आप सहज ही गुरु भक्ति और अध्यात्मिक आनंद से सराबोर हो एक अलौकिक आनंद का अनुभव करेंगे, ऐसा मेरा विश्वास है. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर के लिए भी यह पठनीय है-
     -मनोवैज्ञानिक क्या है? मनोवैज्ञानिक का क्षेत्र क्या है? धर्म की नीति क्या है? नीति नियम की परिभाषा, शिष्टाचार का हमारे जीवन में क्या महत्व है? शिष्टाचार meaning, शिष्टाचार उदाहरण, सामान्य शिष्टाचार, शिष्टाचार के 10 नियम, शिष्टाचार का महत्व, शिष्टाचार शब्द, शिष्टाचार पर 20 वाक्य, 

नीति-वचन
नीति - वचन

शुच्याचार, शिष्टाचार, नीति, मनोविज्ञान, अध्यात्म-ज्ञान और मोक्ष-धर्म आदि विषयों से संबंधित 920 सूक्ति-संकलन


    प्रभु प्रेमियों  !  नीति - वचन के बारे में लेखक की निम्नलिखित महत्वपूर्ण बातों को ध्यान से पढ़ें-   "पुस्तक की जो बातें सद्ग्रंथों के वचनों से मेल खाती हों , समझना चाहिए कि वे मेरे स्वाध्याय से प्राप्त बातें हैं अथवा ऐसा भी समझना चाहिए कि सत्य पर किसी एक व्यक्ति का अधिकार नहीं होता , जो सत्य एक व्यक्ति को अनुभूत हो सकता है , वह दूसरे को भी अनुभूत हो सकता है । पुस्तक में जो व्यवहार्य बातें आयी हैं , मेरा दावा नहीं है कि मैं उन्हें तत्परता के साथ अपने जीवन में उतार लिया करता हूँ । हाँ , मैं उन्हें यथासंभव उतारने का प्रयास अवश्य कर रहा हूँ । पुस्तक के वचनों को कई दशकों में बाँटकर संकलित किया गया है । वे वचन विषयबद्ध नहीं किये जा सके हैं । मैंने यह पुस्तक इसलिए छपवायी कि यह भविष्य में मेरा और इसे पढ़नेवाले दूसरे आत्मकल्याण चाहनेवाले लोगों का भी मार्ग - प्रदर्शन कर सके । यदि इस पुस्तक से पाठकों को कुछ भी लाभ पहुँच सका , तो मैं अपना परिश्रम सार्थक समझँगा । "

     इससे अधिक क्या कहा जा सकता है. निम्नांकित चित्र में इस पुस्तक का आप स्वयं अवलोकन करें और हृदय को जंच जाए तो इसे ऑनलाइन मंगा कर अपने ज्ञान कोष के रिक्त स्थानों में इन सूक्तियाँ को स्थित कर ज्ञानकोश की  वृद्धि करें।

'नीति - वचन पुस्तक के बारे में
अधिक जाकनकारी के लिए 



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     प्रभु प्रेमियों ! लालदास साहित्य सीरीज में आपने 'नीति - वचन ' नामक पुस्तक के बारे में जानकारी प्राप्त की. आशा करता हूं कि आप इसके सदुपयोग से इससे समुचित लाभ उठाएंगे. इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार  का कोई शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले हर पोस्ट की सूचना नि:शुल्क आपके ईमेल पर मिलती रहेगी। . ऐसा विश्वास है.जय गुरु महाराज.


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