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'सत्संग-योग ( चारो भाग )' संतमत - सत्संग का प्रतिनिधि-ग्रंथ है । यह संत सद्गुरु पूज्यपाद महर्षि मेंही परमहंसजी महाराज के द्वारा संपादित और लिखित है । इसके प्रथम भाग में २७ उपनिषदों के कुछ पद्यात्मक और गद्यात्मक मंत्रों के साथ - साथ कई शास्त्रों के वचन , द्वितीय भाग में संतों की वाणियाँ , तीसरे भाग में विद्वानों - महात्माओं की वाणियाँ और चौथे भाग में गुरुदेव के द्वारा लिखित गद्यात्मक तथा पद्यात्मक वचन संकलित हैं । प्रस्तुत पुस्तक ' उपनिषद् - सार ' में ' सत्संग - योग ' के प्रथम भाग में संकलित उपनिषदों के पद्यात्मक तथा गद्यात्मक मंत्रों में से केवल पद्यात्मक मंत्र लेकर उनके अर्थ लिखे गये हैं और मंत्रों में आये पदों ( शब्दों ) के भी अर्थ दिये गये हैं । मैं संस्कृत का विद्वान् नहीं हूँ , मुझे संस्कृत का बहुत कम ज्ञान है । इस पुस्तक के लेखन - कार्य में मैंने संस्कृत - व्याकरण और संस्कृत - हिन्दी शब्दकोश का सहारा लिया है । पुस्तक में अनेक त्रुटियाँ हो सकती हैं , इसके लिए मैं विद्वानों से क्षमाप्रार्थी हूँ । पुस्तक मंगाने के लिए नाम के पास ही अपना पूरा पता पिन कोड सहित लिखें। ( ज्यादा जाने )
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| उपनिषद-सार |






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